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कुछ यूँ ही/रमा द्विवेदी
Kavita Kosh से
कहीं अहसास बिकते हैं,
कहीं विश्वास बिकते हैं,
अगर दिल टूट जाए तो,
दीवाने खास बिकते हैं।
कहीं मेंहदी हँसाती है,
कहीं मेंहदी रुलाती है,
पिया का प्यार मिल जाए ,
तो मेंहदी रंग लाती है।
जमाने के हैं क्या कहने,
चुराते आँख का काजल,
अगर हों आँख में आँसू,
तो चल देते हैं मुस्काकर।