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कुछ लोग / विस्साव शिम्बोर्स्का / विनोद दास

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कुछ लोग भाग रहे हैं कुछ दूसरों के पास
इस धरती के किसी देश में
कुछ घुमड़ते बादलों के साथ
उन्होंने छोड़ दी हैं कुछ अपनी दिलअज़ीज़ चीज़ें
बोये हुए खेत, मुर्गी के चूजे, कुत्ते
आईने भी, जिनमें अब झलकता है आग का अक्स

उनके कन्धों पर हैं घड़े और गठरियाँ
जितनी मिली थीं ख़ाली, उतनी ही भारी हो रही हैं धीरे-धीरे
कुछ थककर गिर जाते हैं चुपचाप और आवाज़ नहीं होती
कोई झपट्टा मारकर ले जाता है किसी की रोटी और हल्ला मच जाता है
कोई मरे से बच्चे को हिला-हिलाकर उसे ज़िन्दा करना चाहता है
उनके आगे हमेशा कोई न कोई ग़लत रास्ता होता है
अज़ीब सी लाल नदी पर मिलता है
हमेशा उन्हें दूसरा ग़लत पुल
उनके आसपास होती है बन्दूक की धाँय-धाँय
कभी ज़रा क़रीब, कभी कुछ ज़रा दूर
उनके ऊपर एक हवाई जहाज़ चक्कर-सा लगाता रहता है ।

आगे आसानी से कुछ भी दिखाई नहीं देगा
रास्ता होगा कुछ धुन्धला और पथरीला
अथवा यह कहना बेहतर होगा कि कुछ छोटे या बड़े वक़्फ़े के लिए
उनका कोई वज़ूद भी नहीं होगा
कुछ और ही घटित होगा हालाँकि कहाँ और क्या
कोई उनके पास आएगा हालाँकि कब और कौन
वह कितनी शक़्लों में आएगा किस मक़सद के साथ
अगर उसके पास चुनने का अख़्तियार होगा
तो वह दुश्मन नहीं बनेगा
और उन्हें अपनी जिन्दगी गुज़र-बसर करने देगा ।

अँग्रेज़ी से अनुवाद : विनोद दास