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कुछ शब्द भूल जाओ / प्रमोद कौंसवाल
Kavita Kosh से
कुछ शब्द भूल जाओ
जैसे मुआवज़ा
विस्थापन
सुप्रीम कोर्ट और शपथ पत्र
ज़मीनी सच्चाई
सरकार की सफ़ाई
सबसे ऊंचा क्यों बनाया
फ़ायदा हमें क्या
पास में कोटेश्वर बांध क्यों
निजी कंपनियां
गंगा की धारा में
आलतू फ़ालतू डंपिंग
नदी की धारा हुई पतली
भूकंप
स्थानीय निवासी
क्यों आ रहे हैं टूरिस्ट
फ़ेरीबोट में क्यों लगता है डर
महड़ डोबरा और क्यारी गांवों पर
मंडरा रहा ख़तरा
गांवों के ऊपर से
हाईपावर लाइनों का जाल
प्रशासन
टीएचडीसी
अधिकारी
और विरोध
और भूल जाओ
ख़ुश हैं हम
छूट गए सूची में नाम
डूब गए बिना नाप जोत के खेत
क्या है कोर्ट का आदेश
और कहां हैं हक़