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कुछ है / अशोक वाजपेयी
Kavita Kosh से
कुछ है जिसका कोई नाम नहीं,
जो किसी रंगसूची में शामिल नहीं,
जिसे किसी ने देखा नहीं,
जिसे छू नहीं पाया कोई -
मैं उसे पुकारता हूँ :
जैसे मेरी आवाज़
उसका नाम है, रंग है
दृश्य है, स्पर्श है।