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कुण है रे थूं ? / सत्येन जोशी

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छैड़ै है बारंबार
घूरै है निजर गाड
काळजियै पड्या घाव
कुचरैं क्यूं
कुण हैं रे थूं कुण है रे थूं
डूंगर सूं कंवळातै सूरज री साखी में
पसर गयौ, मनगत नै उळझातौ
सावचेत कानां नै
फोड़ गयौ सरणाटौ
दिसा दिसा ऊभोडा नैणां रा पौरायत
आभै री सींव फाड़
धरती री कूंख चीर
खूंद गयौ कानां नै
गिगन पार उडते रा
पंख कतर लेग्यौ क्यूं
कुण है रे थूं कुंण है रे थूं
व्हैग्यौ जद जमीदोज
काळस रै समदर में
सोधण नै उजास
सुध बुध जद व्ही अलोप
पूगण नै अमर लोक
मंडताई पैली पग
डसग्यौ बण कालिंदर
नीत नै डुळावण रा
सगळा ले ताम-झाम
चिलकै रौ पळकौ कर
पोटावण लागौ थूं
किण री भौळावण सूं
कुण है रे थूं कुण है रे थूं
रिंद रोही, भीड़ भाड़
कांटला मग-मारग
झाड़-बाठ, उभराणा पग
जीवण सूं आथड़तौ
होणी सूं लड़भिड़तौ
डांफर सूं ठसतोड़ौ
लूवां सूं गळतोड़ौ
बिरखा सूं भींज्योड़ौ
गार गार डील लियां

दुबधा रै धड़बै नै तोड़ भांग
समदर अर डूंगर सैं लांघ-छांग
पूगौ जद क्षितिज दीठ
चींगठ नै चपड़ चपड़
पग म्हारौ फिसलावण
अंग अंग फुरकावण
इमरत घट लायौ क्यूं
कुण है रे थूं
छोड़ दिया लै म्है सैं
बंधणा ऐ डीलतणा
व्हैणै नी व्हैणे री ओळख म्है दी बिसार
डील जठै सुध कोनी
सांस जठै गत कोनी
भेद जठै थारौ नीं म्हारौ नी
म्है कोनी, थूं कोनी
सुनियाड़ सुनियाड़
सांयत बस सांयत है
रंग कोनी, रूप नहीं, रेख नहीं
राग नही, गीत नहीं
गूंजै बस ओमकार
सांयत नै थिर करतौ
थिर करतौ, थिर करतौ
ओमकार