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कुत्ता पाल लो नये समधी जजमान कुत्ता पाल लो / बुन्देली
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बुन्देली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
कुत्ता पाल लो नये समधी जजमान कुत्ता पाल लो।
कुत्ता के राखे सें मिलै अैन चैन
समधिन की रखवारी करै दिन रैन
स्वाद चाख लो कुत्ता पाल लो...
कुत्ता के राखे कौ आसरौ बिलात
समधिन के पीछें लगौ रहे दिन रात
जरा देख लो। कुत्ता पाल लो...
कुत्ता के राखे सें पुरा जग जाये।
समधिन के आगे पीछे लगौ जाये।
जरा देख लो।
ओ समधी जजमान कुत्ता पाल लो।