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कुम्हार कहता है राम से / महेन्द्र मिश्र

 देखो सउदा हमारे हो राजकुमार।
अगरा गगरा बहुत बनाए थारी टोंटीदार।
चिलम चिलमची कौन बतावे पतुकी पेनीदार।
दीया दियारी टुइयाँ कंटिया हुक्का अजब बहार।
तवा कराही ओर सोराही ढँकना ऊँटीदार।
दुनिया में हमही सरनामी जानत है संसार।
द्विज महेन्द्र श्री रामचन्द्रजी सउदा लेबो हमार।
रही निसानी सदा अवध में ले के देखो कुमार।