हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
कुरडी कूड़ा हे जी गेरती
कान गई भनकार
बेटा तै जाया माई जाया बीर कै
पिरस चढ़न्ता सुसरा बूझिया
कहो तै पीहर जां
बेटा तै जाया...
हम नहीं जाणा म्हारी कुल बहू
जेठ तेरे नै हे बूझ
धार कढ़ता जेठा बूझिया
कहो ते पीहर जां
बेटा तै जाया...
हम नहीं जाणां म्हारी कुल बहू
देवर तेरे नै हे बूझ
खुलिया खेलन्ता देवर बूझिया
कहो ते पीहर जां
बेटा तै जाया...
हम नहीं जाणां म्हारी भावज जी
कन्धे तेरे नै हे बूझ
कहो तै पीहर जां
बेटा तै जाया...
हम नहीं जाणां म्हारी गोरडी
सास तेरी नै हे बूझ
बेटा तै जाया माई जाया बीर कै