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कुर्सी गीत / मथुरा नाथ सिंह 'रानीपुरी'
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भैया कुर्सी केॅ खुट्टा में धार लागै
सगरो धरती आ सरंग बीमार लागै॥
सभ्भे केॅ भूख छै सभ्भैं खखोरै
घोंघा आ सितुआ केॅ सभ्भें बटोरै
झनपट करै आरोॅ मिरगी आवै छै
कुर्सी पर सभ्भे कदरदार लागै॥
भुखला केॅ भूख कहोॅ कौनेॅ मिटैतै
पुछिया डोलाय केॅ दाँतो दिखैतै
लहरैली बिल्ली मोखोॅ नोचै छै
सगरो दीवारी छेछार लागै॥
कुर्सी पर लोटै आरोॅ सभ्भे कुछ सोटै छै
ईटा मरम ‘रानीपुरी’ कोय पोटै छै
यहो बेशरमी केॅ लाजो नै लागै
खुल्ले ई सगरो बाजार लागै
भैया कुर्सी के खुट्टा में धार लागै॥