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कुलिफ़ी हाउस / मुकेश तिलोकाणी
Kavita Kosh से
पुराणियुनि
घिटियुन मां
पेर फटाए
हिति पहुतासीं।
तीखे कीअं लॻो
ख़बर सुभाणे पवंदी
सुबुह सवेल
अखि खुले अलाए न
तोखे इहे नज़ारा
केसिताईं यादि रहंदा
वरी मुलाक़ाति
थिए त
कुलिफ़ी हाउस में
ज़रूरु हलंदासी।