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कुल लाज जंजीरन सोँ जकड़्यो जुलमी तऊ ऊधम ठानत है / परमेस
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कुल लाज जंजीरन सोँ जकड़्यो जुलमी तऊ ऊधम ठानत है ।
तन मैन महावत एड़ के आँकुस ताहू की आनि न आनत है ।
झुकि झूमि झुकै उझकै न रुकै परमेस जू जोग न जानत है ।
पिय रावरो रूप बिलोके बिना मन मेरो मतँग न मानत है ।
परमेस का यह दुर्लभ छन्द श्री राजुल मेहरोत्रा के संग्रह से उपलब्ध हुआ है।