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कृतकार्य / महेन्द्र भटनागर

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जी, वाह ! क्या वाहवाही मिली,

ता-उम्र कोरी तबाही मिली,
दौलत बहुत, दर्द की, बच रही
सच, ज़िन्दगी भारवाही मिली !