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कृतज्ञताएँ / चेन्जेराई होव / राजेश चन्द्र
Kavita Kosh से
अनायास भर आते आँसू,
जीवन की परछाईं
मेरी रूह की हड्डियों में ।
मैं इन्तज़ार कर रहा हूँ बारिश में
इस शुष्क मौसम में भी :
भूख के एक मकान का ।
कोई भी देश जगेगा नहीं अब
किसी भी शहर में होगी नहीं रोशनी :
यह एक नास्तिक की यात्रा है
जिसमें बोते हैं वे केवल काँटे
और धैर्यहीन परिस्थितियाँ ।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : राजेश चन्द्र