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कृपया ठुँग न मारें-4 / नवनीत शर्मा
Kavita Kosh से
दफ़्तर
घर
माँ
प्रेमिका
दोस्त
ओ सूरजप्रकाश!
क्या तुम ऐसी पाँच तख़्तियाँ
दे सकते हो?
जिन पर लिखा हो
`कृपया ठुँग न मारें'