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कृषकक तैयारी / चन्द्रनाथ मिश्र ‘अमर’

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धरती देथुन उझिलि बखारी,
चाहय क्यो न अन्न सरकारी।
लय मुट्ठीमे जान समरमे
लड़ल बहादुर सेना,
आयल पार कृषक मजदूरक
आइ चुआय पसेना
मूड़ी काटि अकालक गाड़ी,
भूख न देअय फेर मुड़ियारी।
कोटि-कोटि धरतीकेर बेटा
मारय चोट लङाड़ा,
शास्त्री लाल बहादुर देलनि
जय किसानकेर नारा,
भिड़ि कय करय काज नर-नारी
उपजय धान गहूम खेसाड़ी।
बनि प्रधान-मन्त्री क्यो
देशक शासन-सूत्र सम्हारथु,
किन्तु धान-मन्त्री किसान बनि
अगिले मुहड़ा मारथु,
पाबथु परसल थार नोथारी
भरि भरि थारी पुनि घरवारी।
धरब कोदारि, करब भू-सेवा
मेवा पायब निश्चय,
माता धरती सुनती विनती
फुजत खजाना अक्षय,
परती रहत न बाड़ीझाड़ी,
हर्षे गमकत केसरि क्यारी।
सजला-कमला-गंगा-यमुना-
सरयू हृदय जुड़ाबथि,
तखन किएक भारतवासी
अनका लग माथ मुड़ाबथि,
चलतनि अनपुरनाक सवारी
भरतनि खोपड़ी महल अँटारी।
बलिदानी बलि चढ़ा-चढ़ा कय
कयलनि देशक रक्षा,
भूख-युद्धमे विजय करक हित
बान्हि जोरसँ कच्छा,
कृषकक वर्ग कयल तैयारी।
बुढ़बो बिसरल अपन बुढ़ारी।