कृष्ण! तुम गूंगे ही अच्छे हो / प्रमिला वर्मा
कृष्ण!
तुमने सोचा होगा
अब महाभारत कैसे होगी?
क्योंकि,
तुम ही 'अथ' हो।
तुम ही 'इति'
लेकिन,
यह तुम्हारी भ्रांति थी। वह 'महाभारत' तो कब की खत्म हो गई।
जिसका ना प्रारंभ सुखद
न
ही अंत सुखद।
अब,
तुम्हारे बिना महाभारत होगी।
कृष्ण!
नहीं चाहिए हमें गूंगा सारथी।
हम स्वयं हांक लेंगे अपना रथ।
और
अपनी लड़ाई स्वयं लड़ेंगे तुम्हारे बिना।
जिसका आरंभ भी सुखद,
और अंत भी
सुखद,
तुम घमंड मत करो
कृष्ण,
यह महाभारत तुम्हारे बगैर पूरी होगी।
तुम्हारी बनाई सृष्टि में इतनी भी
अबला नहीं है नारी। जितनी तुम्हारे होते हुए थी।
द्रौपदी, सीता, अहिल्या किस-किस के नाम
गिनाऊँ?
कृष्ण।...
चलो छोड़ो,
हांकने दो रथ
कहीं तुम्हारी मोहक
भंगिमाओं को देख कर, भूल ना जाएँ,
हम अपना पथ।
कृष्ण!
तुम गूंगे ही अच्छे हो निर्विकार