कृष्ण-नील-द्युति तन सुन्दर अति, पीतवसन, उर मुक्ता माल।
भव्य विभूषण भूषित, भाल तिलक शुचि, ललित त्रिभंगी लाल॥
पदतल-करतल अरुण मनोहर, कबु-कण्ठ, सिर मुकुट विशाल।
जय जय भक्त-भीर-भजन, जन-मन-रजन, जय वेणु-गुपाल॥
कृष्ण-नील-द्युति तन सुन्दर अति, पीतवसन, उर मुक्ता माल।
भव्य विभूषण भूषित, भाल तिलक शुचि, ललित त्रिभंगी लाल॥
पदतल-करतल अरुण मनोहर, कबु-कण्ठ, सिर मुकुट विशाल।
जय जय भक्त-भीर-भजन, जन-मन-रजन, जय वेणु-गुपाल॥