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कृष्ण कन्हईया आयो मन में मोहन मुरली बजाओ / काजी नज़रुल इस्लाम

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कृष्ण कन्हईया आयो मन में मोहन मुरली बजाओ।
कान्ति अनुपम नील पद्मसम सुन्दर रूप दिखाओ।
सुनाओ सुमधूर नुपूर गुंजन
“राधा, राधा” करि फिर फिर वन वन
प्रेम-कुंज में फूलसेज पर मोहन रास रचाओ;
मोहन मुरली बजाओ।
राधा नाम लिखे अंग अंग में,
वृन्दावन में फिरो गोपी-संग में,
पहरो गले वनफूल की माला प्रेम का गीत सुनाओ,
मोहन मुरली बजाओ।