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कृष्ण बिना व्याकुल है राधा / बाबा बैद्यनाथ झा

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कृष्ण बिना व्याकुल है राधा,
रोती आठो याम
क्यों निष्ठुर तुम आज बने हो,
ओ मेरे घनश्याम
 
तुम बिन जग लगता है सूना
दुख बढ़ता है प्रतिदिन दूना
विरह व्यथा से दग्ध हृदय है
दूँ निकाल कर भेज नमूना?
तुम बिन जीना बहुत कठिन है,
जीवन है नाकाम
 
मातु यशोदा बिलख रही है
हर गौ माता भटक रही है
वृन्दावन के साथ यहाँ तो
यमुना कैसे सिसक रही है
मोर पंख से पूछ रही है,
राधा तेरा नाम
 
राधा को भी भान हुआ अब
कृष्ण वचन का ज्ञान हुआ अब
कृष्ण संग अद्वैत भाव का
दिव्य रूप का ध्यान हुआ अब
नहीं भेद है इन दोनों में,
जहँ राधा तहँ श्याम