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केकरा कहियै मनोऽ रऽ बतिया तोरा छोड़ी केॅ / कस्तूरी झा ‘कोकिल’

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केकरा कहियै मनोऽ रऽ बतिया तोरा छोड़ी केॅ?
केकरा कहियै मनोऽ रऽ खिसिया तोरा छोड़ी के?

ताम जाम जेकरा लेल सबकुछ ऊ दुनिया सें बाहर।
ई देखी केॅ जीना मुस्किल आपनों माथा फोड़ी केॅ।

लाख बुझाबडऽ वें की बुझथौं लड़का हुयै की लड़की।
फुकथौं फाकथौं कुछ नैं पूछथौं जे आनथौं लोढ़ी केॅ।

घर परिवार जाय चूल्ही में ओकरा कथी लऽ चिन्ता?
लेकिन मांगथौं हरदम बेदम राखलौह जोड़ी केॅ।

कहाँ नौकरी? हम्में की करियै? उलटे घौंस जमैथौं,
बड़ा कठिन समझाना छै हो, बहरा कोढ़ी केॅ।

भूली जा आदर अनुशासन देथौं नपका तूरें,
जीना छौं तेॅ सीखऽ रहना तन-मन मोड़ी केॅ।

-17 जून, 2014