केवल एक सहारा तेरा / विमल राजस्थानी
सभी सहारे झूठे, सच्चा केवल एक सहारा तेरा
जब-जब संकट गहराया, मैंने तब-तब तुमको ही हेरा
तुझ-सा प्यार कहाँ मैं पाऊँ
तुझको त्याग कहाँ मैं जाऊँ
अक्षय स्नेह-सिंधु की लोल-
लहरियों में ड्बूँ-उतराऊँ
दुनिया तो मतलब की चेरी
साँस-साँस में हेराफेरी
जीवन-पथ में घना अँधेरा
छलिया गलियाँ है बहुतेरी
खो जाऊ भरह भीड़ में, पंछी कब तक रहे नीड़ में
सदा सुरक्षित रखना बाबा! हटे न इन बाँहों का घेरा
सभी सहारे झूठे, सच्चा केवल एक सहारा तेरा
अपनों में तो मार-काट है
पापों से पट रही बाट है
सबकी दृष्टि ‘पदों’ पर केन्द्रित
बंद विवेकों के कपाट हैं
अंतर्धान हुए हैं ‘पशुपति’
सब पशु बंधन-हीन हो गये
सींगों से गूँथ रहे सींग,
सिद्धांत और आदर्श खो गये
आये थे प्रभु-पद-पद्यों में, उलझे भौतिक छल-छद्यों में
हुए पतनोन्मुख, गले पड़ गया स्वार्थ-सर्प औ तेरा-मेरा
हे प्रभु! कब देखें-निरखेंगे नयन हमारे सुखद सबेरा
सभी सहारे झूठे, सच्चा केवल एक सहारा तेरा
सदा सुरक्षित रखना है हरि! हटे न इन बाँहों का घेरा