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केवल बाल पुस्तकें पढ़ना / ओसिप मंदेलश्ताम

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केवल बाल पुस्तकें पढ़ना

सिर्फ़ बच्चों की तरह सोचना

केवल आगे ही आगे बढ़ना

और गहरी उदासी से जगना


बेहद थक गया हूँ मैं

इस जीवन से अपने

और नहीं कुछ लूंगा इससे

न देखूंगा सपने


बेहद करता हूँ प्रेम

मैं अपनी

इस बेचारी धरती को

मैंने न देखी

कोई दूजी ऎसी

उपजाऊ या परती हो


कहीं दूर

बग़ीचे में झूलूँ मैं

लकड़ी के झूले पर दक्ष

नीम-बेहोशी में

याद मुझे हैं

वे फर के ऊँचे काले वृक्ष


(रचनाकाल :1908)