भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

केवल मैं जानता हूं / ओम पुरोहित ‘कागद’

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अपनी
ज़मीन से
जुड़ा रहना
कितना जरूरी है
आप जानते हैं
या मैं जानता हूं
परन्तु
मेरे पैरों तले
ज़मीन कितनी
चिकनी है
फ़िसलने का
खतरा कितना है
यह केवल मैं जानता हूं
आप कहां जानते हैं

अनुवाद-अंकिता पुरोहित "कागदांश"