भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
केसर सुरंग हू के रंग में रंगौगी आजु / ठाकुर
Kavita Kosh से
केसर सुरंग हू के रंग में रंगौगी आजु,
और गुरु लोगन की लाज कों पहेलिवौ ।
गाइवौ-बजाइवौ जू, नाँचिवौ-नँचाइवौ जू,
रस वस ह्वैके हम सब विधि झेलिवौ ॥
’ठाकुर’ कहत बाल, होनी तौ करौंगी सब,
एक अनहोनी कहो कौन विधि ठेलिवौ ।
कर कुच पेलिवौ, गरे में भुजि मेलिवौ जू,
ऐसी होरी खेलिवौ जू, हम तौ न खेलिवौ ॥