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केहू जे दिहलन अन-धन-सोनवाँ से / भोजपुरी

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केहू जे दिहलन अन-धन-सोनवाँ से, केहू जे लहरा-पटोर हे।
केहू जे दिहलन हंसराज घोड़वा, केहू महुरवा के गाँठ हे।।१।।
बाबा जे दिहलन अन-धन-सोनवाँ, माता जे लहरा-पटोर हे।
भइया जे दिहलन हंसराज घोड़वा, भउजी महुरवा के गाँठ हे।।२।।
उड़ि-पड़ि जइहें रे अन-धन-सोनवाँ, फाटि जइहें लहरा-पटोर हे।
शहरि कूदइबों में हंसराज घोड़वा, फेंकबों महुरवा के गाँठ हे।।३।।
केहू के रोवले गगन बढ़ि गइले, केहू रोवेले छव मास हे।
केहू के रोवले भींजे पीअर धोतिया, केहू का अँखियो ना लोर हे।।४।।
हाँ रे, बाबा का रोअले गगन बढ़ि गइले, माता रोवेली छव मास हे
भइया का रोअले भींजे पीयर धोतिया, भउजी का अँखियो ना लोर हे।।५।।
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किन के रोये से नदिया बहत है। किन के रोये से बेला ताल।।
किनके रोये से छतिया फटत है। किनका रे जियरा कठोर।।
माई के रोये से नदिया बहत है। बाबुल के रोये बेला ताल।।
बिरना के रोये से छतिया फटत है। भौजी के जियरा कठोर।।