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के गावी केॅ गीत सुनैतै / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय

के गावी केॅ गीत सुनैतै,
ऊ दिन लौटी केॅ की ऐतै?

तोरोॅ एक सुरोॅ पर नाँचै
नद्दी, पोखर, ताल-तलैया
धरती की, आकाशो तक भी
गिरि-वन साथे ताता-थैया
तोहें बोलौ, ‘भूली जा सब’
की केन्हौ केॅ ऊ विसरैतै?

साँस जना चन्दन के झोंका
मेघे सन ही कोमल ऊ दिन
पाटल के रंगोॅ सें भरलोॅ
चिकनोॅ-चिकनोॅ सेमल ऊ दिन
तोंही लानोॅ पारोॅ फेनू
के हेनोॅ छै, ऊ दिन लैतै?

मन तोरे संग अभियो डोलै
कुछ बचलोॅ विश्वास अभी भी
कत्तोॅ सूनोॅ-सूनोॅ जीवन
परछाई रं रास अभी भी
सौ-सौ बात मनोॅ में सोचौं
मन केॅ मन ही तेॅ समझैतै।