वार्ता- इस के बाद रानी मदनावत क्या कहती है सुनिए इस रागनी में-
मैं न्यूं रोऊं सूं मनै एकली नै छोड़ डिगरग्या
के बुझैगा माली के मेरा बेटा मर ग्या।टेक
जाते का मुंह देख सकी ना मैं भी घर तै लेट चाली
नाग लड़े की सुणी मनै जब पकड़ कालजा पेट चाली
बाग घणी दूर था कई मील की लम्बेट चाली
इकलौती कै एक लाल था दे काशी की भेंट चाली
बड़ी मुश्किल तै राही पाई आई करकै ढ़ेठ चाली
फूल रहे ना डाली माली वंश बेल नै मेट चाली
उजड़ होग्या बाग नाग आज कली कतरग्या।
मेरे दिल में शोक रहा ओरां कै खुशहाली ली करग्या
काशी शहर बसैं सुख तै मनै दुखिया जगत निराली करग्या
मां पहलम बेटे का मरणा हद तै ज्यादा काली करग्या
म्हारे घर मैं घोर अन्धेरा ओरां कै दिवाली करग्या
किस कै सहारै दिन काटुं मनै लाड प्यार बिन खाली करग्या
मेरा किस तरियां दिल डटै बेटा मां की गोदी खाली करग्या
मेरै लेखै देश आज पाणी का भरग्या।
जिस कै लागै वोहें जाणै ना दुसरे नै ख्याल होता
हिम्मत ढेठ देख लेती जब यो तेरा लाल होता
मेरी तरियां हो माली तूं भी रो रो कायल होता
बेटे के मरणे की सुणकै रूप तेरा विकराल होता
जब लागै है बेरा तेरा मेरे केसा हाल होता
बाहर तै कुछ ना दिखै भीतर कालजे में शाल होता
तूं खड्या बणावै बात गात आज दुखिया का करग्या।
जिस दिन फेटै मेरा पति मनै बेटा खाणी डायण कहैगा
डंकणी सिहारी फुहड़ कली हारी कसाण कहैगा
चांदड़ी निरभाग पापिण, घर खोआ अन्याण कहैगा
मेरी देही नै फुकण खातिर नकटी जाण जाण कहैगा
खप्पर भरणी नकटी हर्राह बेशर्म उतणी जाण कहैगा
मेहर सिंह बरोने का मेरे सारे खोट बखाण कहैगा
इस दुखियारी नै छोड़ कै यो जीव परलोक सिधरज्या।