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कैक्टस / संजीव ठाकुर
Kavita Kosh से
मैं
नहीं हूँ कैक्टस
मुझे चाहिए
खाद, पानी,
कोमल छाती धरती की,
मीठी हवा
और
कृषक का स्नेहाम्बु!