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कैधौं मोर सर तजि / आलम

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कैधौं मोर सर तजि गए री अन्त भाजि,
           कैधौं उत दादुर न बोलत हैं,ए दई.
कैधौं पिक चातक महीप काहू मारि डारे,
           कैधौं बगपाँति उत अंतगति ह्वै गई?
आलम कहै आली!अजहूँ न आए प्यारे
           कैधौं उत रीति विपरीत बिधि ने ठई?
मदन महीप की दुहाई फिरिबे ते रही,
           जूझि गए मेघ,कैधौं बीजुरी सती भई?