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कैलेण्डर की नमी / लीलाधर मंडलोई
Kavita Kosh से
पर्व हो, त्यौहार या फिर
कैलेण्डर में फडफ़ड़ाता
कोई धार्मिक दिन
चली आती हैं शुभकामनाएँ
राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री
यहाँ तक नेता प्रतिपक्ष की
अख़बार, रेडियो और टी० वी० पर अचूक
कोई अफ़सोस नहीं आता कभी
जबकि
इतनी काली तारीख़ों से भरा है
नमी में फडफ़ड़ाता हर पन्ना