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कैसा बुद्धू तुम्हें बनाया / शकुंतला कालरा

मम्मी आई, मम्मी आई,
हँसती और हँसाती आई।
पापा को भी लेकर आई,
मेले से कुछ पैकिट लाई।

चुन्नी वाला सूट सलोना,
चमके जिस पर चाँदी-सोना।
रँग-बिरंगा एक बिछौना,
सुंदर जिसका कोना-कोना,

दादी माँ का गरम दुशाला,
दादा जी का मफ़लर काला,
सुंदर पैकिट पापा वाला,
जिसमे कुर्ता रेशम वाला।

नहीं बात मम्मी की भाई,
सारी शापिंग करके आई।
क्या खिलौना क्यों ना लाई,
बच्चों को आ गई रुलाई।

रहे ढूँढते वे बेचारे,
खोल-खोल पैकेट सब हारे।
लुक-चिप देखे पापा प्यारे,
हँस दी मम्मी देख नज़ारे।

झटपट बैग खोल दिखलाया,
जिसमे पैकिट रखा छिपाया।
कैसा बुद्धू तुम्हें बनाया,
हमने तुमको मज़ा चखाया।

बोली मम्मी प्यार लुटाती,
जब शापिंग करने जाती।
तभी खिलौना मैं ले आती,
देखो गुड़िया रेल चलाती।