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कैसा यू-टर्न / रविशंकर मिश्र
Kavita Kosh से
चुपके ही चुपके
ये काम हो गया,
भारत इंडिया का
गुलाम हो गया।
वैसा ही संविधान
वैसा कानून
इंग्लिश जो बोले, वो
है अफ़लातून
हिन्दी का मालिक
बस राम हो गया।
बनाया जिन्हें हमने
पब्लिक सर्वेण्ट
मुल्क मिल्कियत उनकी
हन्ड्रेड परसेण्ट
जनता का जीना
हराम हो गया।
देश ने लिया आखिर
कैसा यू-टर्न
संस्कृति को लील गया
कल्चर वेस्टर्न
खत्म नमस्कार व
प्रणाम हो गया।