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कैसा रहा वह अब तलक इन्सान देखते / बाबा बैद्यनाथ झा

कैसा रहा वह अब तलक इन्सान देखते
कितना किया है आपका अहसान देखते

इतना सता रहे उसे बेदर्द मत बनें
जब चोट दे रहे ज़रा मुस्कान देखते

बेबात पर यक़ीन कर अब क्यों रुला रहे
उस शख़्स का पता सहित पहचान देखते

वह टूटता ही जा रहा यह आप जानते
कितना किया है आपने वह अपमान देखते

जो कुछ हुआ वहाँ अभी दुनिया है हँस रही
करतूत आप खुद की भी श्रीमान देखते

किसको पता अभी वहाँ क्या गुल था खिल रहा
सबलोग हो रहे थे वहाँ हैरान देखते