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कैसी होगी मेरी पहली रचना / कौशलेन्द्र शर्मा 'अभिलाष'

रोज सुनूँ मैं अच्छी अच्छी बातें,
मिलती थी नवचिंतन की सौगातें।
मधुर मिलन की या पखेरु सा होना,
कैसी होगी मेरी पहली रचना?

नित तरुवर झोकों से चिंतित खोता,
मेघ वायु वर्षा से सिंचित होता।
वर्षा युवती सुन्दर रूप सलोना,
कैसी होगी मेरी पहली रचना?

टंकित हो वह भौंरा पतित हुआ जब,
आया मन में हास्य काव्य का धुन तब।
पुष्प वृक्ष गौरवगाथा या रोना,
कैसी होगी मेरी पहली रचना?

सायं देवालय जाकर जब बैठा,
भक्तिभाव सीचुंगा कहकर ऐंठा।
रामकृष्ण गोपी व्यापीजग कोना,
कैसी होगी मेरी पहली रचना?

आँख बंद स्वच्छंद हवा सा झोंका,
आकर नित के खोजबीन को रोका।
सब रस ओतप्रोत आनंदित करदे,
ऐसी होगी मेरी पहली रचना॥