Last modified on 8 जून 2020, at 19:07

कैसे अकेले सम्हालूँ मैं / कुमार विमलेन्दु सिंह

इतना सबकुछ
कैसे अकेले सम्हालूँ मैं
तुम्हारी स्मृतियाँ
तुम्हारा बिना बताए
सम्बंध विच्छेद
एक परस्पर मित्र से भेजा
तुम्हारा अन्तिम संदेश
और बहुत से रतजगे

तुम मानो
मेरी बात
मेरे ह्रदय का एक अंश
प्राण सहित
वहीं प्रतीक्षा में हैं
और आज अचानक
तुम्हारा सपनों में आकर
वार्तालाप!
फिर एक बार
रख गया है
समय मेरे लिए
तुम्हारी स्मृतियाँ
तुम्हारा बिना बताए
सम्बंध विच्छेद
एक परस्पर मित्र से भेजा
तुम्हारा अन्तिम संदेश
और बहुत से रतजगे