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कैसे उड़ पाएगा देश का विमान / शीलेन्द्र कुमार सिंह चौहान

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रत्ती, दो रत्ती भर
बाक़ी ईमान,
कैसे उड़ पाएगा
देश का विमान?
 
     भूमिका छलावों की
      अपनाएँ लोग
      बाँट रहे बस्ती को
      दुविधाएँ लोग
 
कंधों तक दलदल में
डूबा इंसान।
 
     भूखी है गाँव गली
     मँहगे बाज़ार
     कहाँ गए जीने के
     मौलिक अधिकार?
 
पदलोलुप हाथों में
जीत का निशान ।
 
     रिश्तों के कंधों पर
     बर्फ़ का जमाव
     अपनों ने काट दिए
     अपनों के पाँव,

गाफ़िल हैं रखवाले
चोर सावधान ।