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कैसे कर दूँ क्षमा तुमको? / संजय तिवारी

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यह क्या किया
तुमने
तथागत?
योगेशर ने जिन परम्पराओ को
महाक्रांति के बाद
स्थापित किया
मानव सभ्यता के लिए
मनुष्य के जीवन के लिए
विश्व के कल्याण के लिए
व्यक्ति के लिए
परिवार के लिए
समाज के लिए
राष्ट्र के लिए
तुमने
योगेश्वर की साड़ी मेहनत
बेकार कर दी?
क्यों?
तुम्हारे भगोड़े दर्शन का
क्या करेगा मनुष्य
समाज, राष्ट्र
और यह विश्व
मानव परंपरा और सभ्यता को
क्या मिलेगा तुम्हारे
धम्म के धमाल से?
दिल पर हाथ रख कर
खुद से पूछना
कितना विध्वंस है तुम्हारे पलायन में?
तुमने संस्कृति का नाश किया
सभ्यता का विनाश किया
परम्पराओ पर आघात किया
ज्ञान और शिक्षा को
व्यापार बना दिया तुमने
तथागत?
बहुत पाप किये तुमने
अपनी ही गर्भा को
ऊसर बना डाला
पृथ्वी की मर्यादा को धूसर बना डाला
सच तो यह है
कि
तुम्हहारे धम्म ने
भारत को पहली बार
विधर्मियों और
आक्रांताओ के अधीन कर डाला
तुमने बोये बीज भारत में
 पहली बार
साम्प्रदायिकता के
मगध से तक्षशिला तक
पहली बार भारत खंडित हुआ
बुद्ध?
तुम पापी हो
सच में
बहुत बड़े अपराधी हो
मैं
भारती
कैसे क्षमा कर दू?
तथागत
केशव ने जिसे जोड़ा
तुमने खंड खंड कर डाला
धम्म देकर
क्या किया तुमने?
तुम याद करो
कि
कैसे विनष्ट हुआ मगध?
याद करो कि
कैसे
ध्वस्त हुआ
तक्षशिला का ज्ञान केंद्र ?
याद करो कि
तुम्हारे उपाध्यायों ने
कैसे बेंच दी
ज्ञानशालाये?
ज्ञानियों और ऋषियों की
भिक्षा तक छीन ली
तुम्हारे धम्म ने?
तुम सच में
अपराधी ही हो बुद्ध?
इस मानवता के
इस सभ्यता के?
भारत की शास्वत परम्पराओ के
ज्ञान की
अविरल प्रवाहित गंगा के
तुम्हारे पलायन के बीज
अब वृक्ष बन चुके हैं
जिनके नीचे न छाया है
न कोई फल
और
पिस रही है सभ्यता
संस्कृति
घुल रहा है पुरुषार्थ
सिसक रही है राष्ट्रीयता
कराह रही है धरिणी
क्योकि
मुस्कुरा भर रहे हो तुम।