भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कैसे के दर्शन पाऊ मैया तोरी सकरी दुअरिया / बुन्देली

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

कैसे के दर्शन पाऊं मैया तोरी सकरी दुअरिया।
सकरी दुअरिया, मैया चंदन किबरियां। कैसे...
मैया के दुआरे एक कन्या पुकारे
दे दो वर घर जाऊं री, मैया तोरी सकरी दुअरिया।
मैया के दुआरे एक बालक पुकारे
दे दो विद्या घर जाये रे, मैया तोरी सकरी दुअरिया।
मैया के दुआरे एक निर्धन पुकारे
दे दो धन घर जाये रे, मैया तोरी सकरी दुअरिया।
मैया के दुआरे एक बांझन पुकारे
देव बालक घर जाये री, मैया तोरी सकरी दुअरिया।
मैया के दुआरे एक भक्त पुकारे
दे दो दर्श घर जाये रे, मैया तोरी सकरी दुअरिया।