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कैसे जल लाऊँ मैं पनघट जाऊँ / रसिक बिहारी

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कैसे जल लाऊँ मैं पनघट जाऊँ।
होरो खेलल जल्द लाड़िलो क्योंकर रिवहज पाऊँ॥
वे तो निलज फाग मदमाते हौं कुल-बधू कहाऊँ।
जो छुवें अंचल 'रसिकबिहारी' धरती फार समाऊँ॥