बेटे
मैं तुम्हें
काठ का घोड़ा
नहीं दे सकता
आओ
मेरी पीठ पर बैठो
मैं बन जाता हूँ घोड़ा
हाँ,यह सच है
घोड़ा तेज दौड़ता है
पर तुम क्या जानो
मैं दौड़ता हूँ उससे भी तेज
मालिक के एक इशारे पर
मैं दौड़ जाता हूँ
उनके घर
घर से बाजार
बाजार से दफ़्तर
और जाने कहाँ -कहाँ
शाम को थका -हारा
घर लौटने से पहले
साहब के बेटे का भी
बनता हूँ घोड़ा
फिर भी नहीं खरीद सकता
तुम्हारे लिए काठ का घोड़ा
आओ...
मेरी पीठ पर बैठो
और सीख लो
कैसे बना जाता है घोड़ा।