कैसे लिखूँ तेरे आवन के गीत / संजय तिवारी
पतझड़ के गीत, सावन के गीत
कैसे लिखूँ तेरे आवन के गीत।
उपवन के गीत, अभिनव के गीत
कैसे लिखूँ तेरे जीवन के गीत।
अपनों से सपनों में, अपनों के अंतर के
आकस्मिक अभिमत और आनंदित अंतर के
सपनों में साजन के संग सही प्रीत
कैसे लिखूँ तेरे जीवन के गीत।
आओगे तुम तो बहारें भी आएँगी
आने से तेरे फिर बदली ये छाएगी
देखा था हमने जो सपनों में मीत।
कैसे लिखूँ तेरे आवन के गीत।
पावनता आँगन की मन की आ जाएगी
ड्यौढ़ी की चौखट से बिरहिन ये गायेगी,
परिवर्तित परिणय, पाषाण हुई प्रीत,
कैसे लिखूँ तेरे जीवन के गीत।
दम्भ भरी मादकता, मौसम की, या मधु की,
रम्भ हुई छाती से धार अमिय की विधु की,
एक बूँद प्यार सहित ही दे दो मीत।
कैसे लिखूँ तेरे जीवन के गीत।
अंतर की पीड़ा को अंतर्मन ही जाने,
ऊपर संवेदन, सहजता को ही पाने,
इस खातिर प्रियतम, तुम दो नयी रीत।
कैसे लिखूँ तेरे जीवन के गीत।