भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कैसौ स्वर कैसौ स्वरनांद / सालिम शुजा अन्सारी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कैसौ स्वर कैसौ स्वरनांद
मन सूँ मन कौ है सम्वाद

जैसी श्रद्धा बैसो श्राद्ध
जो चाहे कर दियो इमदाद

भगत का चौखट पर भगवान
माँग रयौ है आसिरबाद

बाहिर बाहिर बुद्धिमता
भीतर भीतर इक अवसाद

जीवन, दलदल एक समान
उपर जल तौ नीचन गाद

अमरित, बिस दोऊ निरदोस
अपुनो अपुनो सबकूँ स्वाद

मैं छोटो हूँ आप बड़े
इब काहे कूँ वाद-विवाद

मन्दिर, मज्जिद शाँत है चौं
उत्सुक्ता में है उन्माद