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कोइलिया से / कृष्णदेव प्रसाद
Kavita Kosh से
अमवा के डाढ़ कोइलिया मत करह किलोल ॥1॥
मोर से उमठा आम गछिया
हिय बीचे फोड़े सोर।
पात रूप सजल नयनमा
नीर बिरह अथोर।
ओसवा से भिंजल पतिया अनचित्ते मत झोल ॥2॥
पुनियां के उगत इंजोरिया
चहुं दिस टहपार।
अमवां में लगतइ मंजरिया
मँहँ मँहँ सुकुमार।
अबहीं तो रयनि अंधरिया सुनअ रसे रसे बोल ॥3॥