शाम तनहा चली जाए तो खुशी होती है
इन दिनों कोई रुलाये तो खुशी होती है
उम्र भर उसको पुकारा करूँ दीवानों सा
कोई आवाज़ न आये तो खुशी होती है
तेरे आगोश के जंगल में हिना की खुशबू
आजकल याद न आये तो खुशी होती है
दोस्ती दर्द से ऐसी निभी कि पूछो मत
अब खुशी पास न आये तो खुशी होती है
चाहे जीते जी लगाये या बाद मरने के
आग़ अपना ही लगाये तो खुशी होती है
जहाँ में कोई सबक मुफ़्त नहीं मिलता है
जिंदगी फिर भी सिखाए तो खुशी होती है
ख़्वाब ‘आनद’ के टूटे तो इस कदर टूटे
अब कोई ख़्वाब न आये तो खुशी होती है