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कोई उठता क्यों नहीं / नवल शुक्ल
Kavita Kosh से
रात है और गाड़ी एक ही है
जाना सबको है भाई।
अरे उठो
बीच में कौन सोया है
गेट पर सवारी है भाई।
अरे ओय
गाड़ी मत चलाओ
गिर जाएगी सवारी
वह सुनता क्यों नहीं।
अरे सुनो
तुम्हीं जाग जाओ भाई
पैर रखने की भी कहीं जगह नहीं है
रात है और गाड़ी एक ही है
सबको जाना है भाई
कोई उठता क्यों नहीं?