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कोई उथळो कोनी / सांवर दइया
Kavita Kosh से
सांस छोलू धोरां रै खोळै में
सुळियोड़ा बिरछ दांई एक गांव
सारै कर निसरै
काळी नागण-सी सड़क
सड़क ऊपर डाकी दांई बगै टाट्रा
एक पछै दूजो पछै तीजो पछै चौथो
अर बग्यां ई जावै
आ देख
टाबरां री आंख्यां
रह जावै फाटी-री-फाटी
उणारा चेहरा बण जावै
काळजै में खुबतै भालै सरीखा सवाल
जुगां-रा-जुग बीत्या
पण सवाल उणी ठौड़ कायम है
कोई उथळो कोनी
किणी माई रै लाल कनै ।