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कोई उम्मीद तो हो दिल को मनाने के लिये / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
कोई उम्मीद तो हो दिल को मनाने के लिये।
है ये बेचैन कन्हैया को रिझाने के लिये॥
नेक औलाद सभी को है तसल्ली देती
है बुढ़ापे में कोई बोझ उठाने के लिये॥
तू मेरे सामने आ जाए तो मुमकिन है कभी
दिल मचल जाये तेरे प्यार को पाने के लिये॥
तेरा एहसास बसा रहता धड़कनों में मेरी
ये कोई कम तो नहीं होश उड़ाने के लिये॥
इस ज़माने ने दिया क्या है हमें ग़म के सिवा
छोड़ तुझको दूँ मैं क्यूँ बोलो ज़माने के लिये॥