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कोई ऐसा बयान मत दीजे / राम नारायण मीणा "हलधर"

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कोई ऐसा बयान मत दीजे
मुल्क़ की आन-बान मत दीजे

फूल के हाथ में खिलौने हैं
इसको तीर-ओ-कमान मत दीजे

जिसने क़ुर्बानियाँ नहीं देखी
वो हमे खानदान मत दीजे

हर किसी से निभा न पाओगे
हर किसी को ज़बान मत दीजे

जो हमें इस ज़मीं से बिछड़ा दे
आरज़ू- आसमान मत दीजे

मोतिया-बिंद का सहारा हो
हुस्न-ए-बिजली पे जान मत दीजे

क़र्ज़ में पीढ़ियाँ गुज़र जाए
हमको ऐसा मकान मत दीजे

अपने पुरखों के खेत हैं 'हलधर'
कोई इनका लगान मत दीजे