भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
कोई ऐसा बयान मत दीजे / राम नारायण मीणा "हलधर"
Kavita Kosh से
कोई ऐसा बयान मत दीजे
मुल्क़ की आन-बान मत दीजे
फूल के हाथ में खिलौने हैं
इसको तीर-ओ-कमान मत दीजे
जिसने क़ुर्बानियाँ नहीं देखी
वो हमे खानदान मत दीजे
हर किसी से निभा न पाओगे
हर किसी को ज़बान मत दीजे
जो हमें इस ज़मीं से बिछड़ा दे
आरज़ू- आसमान मत दीजे
मोतिया-बिंद का सहारा हो
हुस्न-ए-बिजली पे जान मत दीजे
क़र्ज़ में पीढ़ियाँ गुज़र जाए
हमको ऐसा मकान मत दीजे
अपने पुरखों के खेत हैं 'हलधर'
कोई इनका लगान मत दीजे