भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कोई कवि कालान्तर में / मोहन सगोरिया

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

पता नहीं क्यों नींद में लगा वह
जो गोलियों से भरी रिवाल्वर ताने था

निशाने पर ख़ाली हाथ खड़ा आदमी जाग रहा था
वह निर्भीक दिखा
और पहला भयभीत

दूर कविता लिख रहा कोई कवि कालान्तर में
थोड़ा जाग रहा था और थोड़ा सोया था
अन्ततः उसने लिखा पहले आदमी के डर
और दूसरे की निडरता पर।