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कोई तो बात हो मिलने का कुछ बहाना हो / नफ़ीस परवेज़
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कोई तो बात हो मिलने का कुछ बहाना हो
क़रीब दिल के किसी का तो आना जाना हो
सुना है अब के बहारें इधर से गुज़रेंगी
तो रास्तों में हमारा भी आशियाना हो
मेरे ख़ुदा तू मेरे दिल को ज़ब्त दे इतना
हज़ार ग़म हों मगर फिर भी मुस्कुराना हो
वो रूठ जायें मनायें तो मान भी जायें
समां बहारों का कुछ यूँ ही आशिकाना हो
सफ़र में एक-सा मंज़र तो हो नहीं सकता
हो तपती धूप तो सायों का भी ठिकाना हो
दिलों में फूल मुहब्बत के मुस्कुराते थे
यही दुआ है कि अब फिर से वह ज़माना हो